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परवीन फ़ना सय्यद शायरी | शाही शायरी

परवीन फ़ना सय्यद शेर

3 शेर

खुल के रो लूँ तो ज़रा जी सँभले
मुस्कुराना ही मसर्रत तो नहीं

परवीन फ़ना सय्यद




मेरी आँखों में उतरने वाले
डूब जाना तिरी आदत तो नहीं

परवीन फ़ना सय्यद




तेरी पहचान के लाखों अंदाज़
सर झुकाना ही इबादत तो नहीं

परवीन फ़ना सय्यद