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परतव रोहिला शायरी | शाही शायरी

परतव रोहिला शेर

4 शेर

आँख से ओझल हो और टूटे पर्बत जैसी प्रीत
मुँह देखे की यारी 'परतव' शीशे की सी प्रीत

परतव रोहिला




साजन तुम तो आप ही भूले अपने प्रीत के बोल
अब मैं किस के द्वारे जाऊँ ले चाहत कश्कोल

परतव रोहिला




तेरे मिलन का सुख न पाया पीत हुई जंजाल
साजन मेरे मन में धड़के बिर्हा का घड़ियाल

परतव रोहिला




वक़्त ने सब भुला दिया 'परतव'
इश्क़ क्या शय है आशिक़ी क्या है

परतव रोहिला