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नोमान इमाम शायरी | शाही शायरी

नोमान इमाम शेर

2 शेर

इक सानेहा सा दफ़्न हूँ लेकिन कभी कभी
सदियों की क़ब्र से भी उठाया गया हूँ मैं

नोमान इमाम




तू अगर अब्र है मैं अब्र में पानी की तरह
मैं तिरे साथ हूँ लफ़्ज़ों में मआनी की तरह

नोमान इमाम