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नज़र हैदराबादी शायरी | शाही शायरी

नज़र हैदराबादी शेर

2 शेर

इस चश्म-ए-सियह-मस्त पे गेसू हैं परेशाँ
मय-ख़ाने पे घनघोर घटा खेल रही है

नज़र हैदराबादी




इसी ख़याल में हर शाम-ए-इंतिज़ार कटी
वो आ रहे हैं वो आए वो आए जाते हैं

नज़र हैदराबादी