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नाशिर नक़वी शायरी | शाही शायरी

नाशिर नक़वी शेर

4 शेर

जाने कब कौन से लम्हे में ज़रूरत पड़ जाए
तुम हमारे लिए पहले से दुआ कर रखना

नाशिर नक़वी




सफ़र का ख़ात्मा होता नहीं कहीं अपना
हर इक पड़ाव से इक इब्तिदा निकलती है

नाशिर नक़वी




उस के करम का एक सहारा जो मिल गया
फिर उम्र भर किसी की ज़रूरत नहीं हुई

नाशिर नक़वी




वफ़ा की राह में दिल का सिपास रख दूँगा
मैं हर नदी के किनारे पे प्यास रख दूँगा

नाशिर नक़वी