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नख़्शब जार्चवि शायरी | शाही शायरी

नख़्शब जार्चवि शेर

2 शेर

कोई किस तरह राज़-ए-उल्फ़त छुपाए
निगाहें मिलीं और क़दम डगमगाए

नख़्शब जार्चवि




वा'दे का ए'तिबार तो है वाक़ई मुझे
ये और बात है कि हँसी आ गई मुझे

नख़्शब जार्चवि