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मोहम्मद फ़ख़रुल हक़ नूरी शायरी | शाही शायरी

मोहम्मद फ़ख़रुल हक़ नूरी शेर

1 शेर

ग़ैर-मुमकिन था फ़सीलें फ़ासलों की फाँदना
क़िस्मतों के फ़ैसले थे तेरे मेरे दरमियाँ

मोहम्मद फ़ख़रुल हक़ नूरी