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मोहम्मद अली ख़ाँ रश्की शायरी | शाही शायरी

मोहम्मद अली ख़ाँ रश्की शेर

2 शेर

दर्द-ए-दिल क्या बयाँ करूँ 'रश्की'
उस को कब ए'तिबार आता है

मोहम्मद अली ख़ाँ रश्की




ये मंसब-ए-बुलंद मिला जिस को मिल गया
हर मुद्दई के वास्ते दार-ओ-रसन कहाँ

मोहम्मद अली ख़ाँ रश्की