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मिर्ज़ा महमुद सरहदी शायरी | शाही शायरी

मिर्ज़ा महमुद सरहदी शेर

1 शेर

नमी सी थी दम-ए-रुख़्सत कुछ उन के आँचल पर
वो अश्क थे कि पसीना मैं सोचता ही रहा

मिर्ज़ा महमुद सरहदी