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मीर सज्जाद शायरी | शाही शायरी

मीर सज्जाद शेर

2 शेर

इश्क़ की नाव पार क्या होवे
जो ये कश्ती तरे तो बस डूबे

मीर सज्जाद




मैं ने जाना था क़लम-बंद करेगा दो हर्फ़
शौक़ के लिखने का 'सज्जाद' ने खोला दफ़्तर

मीर सज्जाद