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मक़सूद वफ़ा शायरी | शाही शायरी

मक़सूद वफ़ा शेर

2 शेर

जीना मुश्किल तो बहुत है तिरी इस दुनिया में
लेकिन इस ख़्वाब को मरना भी नहीं चाहिए है

मक़सूद वफ़ा




मुझ को तख़रीब भी नहीं आई
तोड़ता कुछ हूँ टूटता कुछ है

मक़सूद वफ़ा