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मंज़र मुफ़्ती शायरी | शाही शायरी

मंज़र मुफ़्ती शेर

1 शेर

आश्नाई रही न रुस्वाई
ख़ूँ-चकाँ गुफ़्तुगू करें कैसे

मंज़र मुफ़्ती