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लाल कांजी मिल सबा शायरी | शाही शायरी

लाल कांजी मिल सबा शेर

3 शेर

भटका फिरे है मजनूँ लैला के क़ाफ़िले में
ये पूछता कि यारो महमिल किधर गया है

लाल कांजी मिल सबा




नहीं मा'लूम ऐ यारो 'सबा' के दिल में क्या आया
अभी जो बैठे बैठे वो यकायक आह कर उट्ठा

लाल कांजी मिल सबा




'सबा' हम ने तो हरगिज़ कुछ न देखा जज़्ब-ए-उल्फ़त में
ग़लत ये बात कहते हैं कि दिल को राह है दिल से

लाल कांजी मिल सबा