इस गुलशन-ए-हस्ती का हर रंग निराला है
जब रोने लगी शबनम फूलों को हँसी आई
कृष्ण मुरारी
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इस गुलशन-ए-हस्ती का हर रंग निराला है
जब रोने लगी शबनम फूलों को हँसी आई
कृष्ण मुरारी