आमद का तिरी जब कोई इम्कान नहीं है
कब तक दिल-ए-बे-ताब यूँही थाम रखें हम
ख़ुर्रम ख़िराम सिद्दीक़ी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
1 शेर
आमद का तिरी जब कोई इम्कान नहीं है
कब तक दिल-ए-बे-ताब यूँही थाम रखें हम
ख़ुर्रम ख़िराम सिद्दीक़ी