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ख़याल अमरोहवी शायरी | शाही शायरी

ख़याल अमरोहवी शेर

1 शेर

हर तरफ़ ख़ूनीं भँवर हर सम्त चीख़ों के अज़ाब
मौज-ए-गुल भी अब के दोज़ख़ की हवा से कम न थी

ख़याल अमरोहवी