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ख़ावर रिज़वी शायरी | शाही शायरी

ख़ावर रिज़वी शेर

1 शेर

मैं क्यूँ कहूँ कि ज़माना नहीं है रास मुझे
मैं देखता हूँ ज़माने को रास मैं भी नहीं

ख़ावर रिज़वी