मैं क्यूँ कहूँ कि ज़माना नहीं है रास मुझे
मैं देखता हूँ ज़माने को रास मैं भी नहीं
ख़ावर रिज़वी
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मैं क्यूँ कहूँ कि ज़माना नहीं है रास मुझे
मैं देखता हूँ ज़माने को रास मैं भी नहीं
ख़ावर रिज़वी