दिल तोड़ने वाले को ख़बर हो कि अभी मैं
सर-ता-ब-क़दम इक दिल-ए-बीमार नहीं हूँ
ख़ालिद ख़्वाज़ा
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
झूट होंटों पे बिला-ख़ौफ़-ओ-ख़तर आया है
मुद्दतों शहर में रह कर ये हुनर आया है
ख़ालिद ख़्वाज़ा
टैग:
| 2 लाइन शायरी |