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कैफ़ अंसारी शायरी | शाही शायरी

कैफ़ अंसारी शेर

1 शेर

न जाने कौन सी मंज़िल को चल दिए पत्ते
भटक रही हैं हवाएँ मुसाफ़िरों की तरह

कैफ़ अंसारी