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जाफ़र अली हसरत शायरी | शाही शायरी

जाफ़र अली हसरत शेर

4 शेर

भूलता ही नहीं वो दिल से उसे
हम ने सौ सौ तरह भुला देखा

जाफ़र अली हसरत




किस का है जिगर जिस पे ये बेदाद करोगे
लो दिल तुम्हें हम देते हैं क्या याद करोगे

जाफ़र अली हसरत




तुम्हें ग़ैरों से कब फ़ुर्सत हम अपने ग़म से कम ख़ाली
चलो बस हो चुका मिलना न तुम ख़ाली न हम ख़ाली

जाफ़र अली हसरत




उड़ गई पर से ताक़त-ए-परवाज़
कहीं सय्याद अब रिहा न करे

जाफ़र अली हसरत