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इम्तियाज़-उल-हक़ इम्तियाज़ शायरी | शाही शायरी

इम्तियाज़-उल-हक़ इम्तियाज़ शेर

1 शेर

अब यूँ ही देखता हूँ रस्ता
मंज़िल पेश-ए-नज़र नहीं है

इम्तियाज़-उल-हक़ इम्तियाज़