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इफ़्तिख़ार बुख़ारी शायरी | शाही शायरी

इफ़्तिख़ार बुख़ारी शेर

1 शेर

दश्त-ए-बे-सम्त में रुकना भी सफ़र ऐसा था
ज़िंदगी भागते गुज़री मुझे डर ऐसा था

इफ़्तिख़ार बुख़ारी