अजीब हाल था अहद-ए-शबाब में दिल का
मुझे गुनाह भी कार-ए-सवाब लगता था
strange was the condition of my heart in youth
when even sinful deeds seemed piety forsooth
हीरानंद सोज़
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अपने घरों के कर दिए आँगन लहू लहू
हर शख़्स मेरे शहर का क़ाबील हो गया
हीरानंद सोज़
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