दूसरों के वास्ते जीते रहे मरते रहे
ख़ूब-सीरत लोग थे राज़-ए-मोहब्बत पा गए
हयात रिज़वी अमरोहवी
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दूसरों के वास्ते जीते रहे मरते रहे
ख़ूब-सीरत लोग थे राज़-ए-मोहब्बत पा गए
हयात रिज़वी अमरोहवी