EN اردو
हसन ताहिर शायरी | शाही शायरी

हसन ताहिर शेर

2 शेर

ग़म-ए-हयात ने फ़ुर्सत न दी सुनाने की
चले थे हम भी मोहब्बत की दास्ताँ ले कर

हसन ताहिर




यहाँ न मैं हूँ न तू है न कोई शहनाई
पहुँच गई है तिरी आरज़ू कहाँ ले कर

हसन ताहिर