सब्र ऐ दिल कि ये हालत नहीं देखी जाती
ठहर ऐ दर्द कि अब ज़ब्त का यारा न रहा
हबीब अशअर देहलवी
यूँ तो अब भी है वही रंज वही महरूमी
वो जो इक तेरी तरफ़ से था इशारा न रहा
हबीब अशअर देहलवी
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सब्र ऐ दिल कि ये हालत नहीं देखी जाती
ठहर ऐ दर्द कि अब ज़ब्त का यारा न रहा
हबीब अशअर देहलवी
यूँ तो अब भी है वही रंज वही महरूमी
वो जो इक तेरी तरफ़ से था इशारा न रहा
हबीब अशअर देहलवी