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हबाब तिर्मिज़ी शायरी | शाही शायरी

हबाब तिर्मिज़ी शेर

1 शेर

चाहते भी हैं चाहते भी नहीं
दोस्ती की नई मिसाल है ये

हबाब तिर्मिज़ी