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ग़ुलाम नबी हकीम शायरी | शाही शायरी

ग़ुलाम नबी हकीम शेर

2 शेर

तिरी हस्ती से क़ाएम है ये हस्ती
ये हस्ती ख़ुद कोई हस्ती नहीं है

ग़ुलाम नबी हकीम




ज़िंदगी इश्क़-ओ-मोहब्बत से जवाँ होती है
वर्ना बे-कैफ़ सी बे-ताब-ओ-तवाँ होती है

ग़ुलाम नबी हकीम