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गुलाम जीलानी असग़र शायरी | शाही शायरी

गुलाम जीलानी असग़र शेर

1 शेर

आईना-ख़ाने से दामन को बचा कर गुज़रो
आईना टूटा तो रेज़ों में बिखर जाओगे

गुलाम जीलानी असग़र