आईना-ख़ाने से दामन को बचा कर गुज़रो 
आईना टूटा तो रेज़ों में बिखर जाओगे
गुलाम जीलानी असग़र
    टैग: 
            | 2 लाइन शायरी   |
    
                 
                1 शेर
आईना-ख़ाने से दामन को बचा कर गुज़रो 
आईना टूटा तो रेज़ों में बिखर जाओगे
गुलाम जीलानी असग़र