पैदल हमें जो देख के कतराते थे कभी
अब लिफ़्ट माँगते हैं वही कार देख कर
ग़ुलाम मोहम्मद वामिक़
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तेरे रुख़्सारों से दुनिया रौशन थी
कैसे हो गई ज़ुल्मत तारी हैरत है
ग़ुलाम मोहम्मद वामिक़
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