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गाैस मथरावी शायरी | शाही शायरी

गाैस मथरावी शेर

1 शेर

कोई सबब तो था कि 'ग़ौस' फ़हम-ओ-ज़का के बावजूद
कार-ए-सवाब छोड़ कर कार-ए-गुनाह में रहे

गाैस मथरावी