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फ़य्याज़ हाशमी शायरी | शाही शायरी

फ़य्याज़ हाशमी शेर

2 शेर

चोरी ख़ुदा से जब नहीं बंदों से किस लिए
छुपने में कुछ मज़ा नहीं सब को दिखा के पी

फ़य्याज़ हाशमी




न तुम आए न चैन आया न मौत आई शब-ए-व'अदा
दिल-ए-मुज़्तर था मैं था और थीं बे-ताबियाँ मेरी

फ़य्याज़ हाशमी