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न तुम मेरे न दिल मेरा न जान-ए-ना-तवाँ मेरी | शाही शायरी
na tum mere na dil mera na jaan-e-na-tawan meri

ग़ज़ल

न तुम मेरे न दिल मेरा न जान-ए-ना-तवाँ मेरी

फ़य्याज़ हाशमी

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न तुम मेरे न दिल मेरा न जान-ए-ना-तवाँ मेरी
तसव्वुर में भी आ सकतीं नहीं मजबूरियाँ मेरी

न तुम आए न चैन आया न मौत आई शब-ए-व'अदा
दिल-ए-मुज़्तर था मैं था और थीं बे-ताबियाँ मेरी

अबस नादानियों पर आप-अपनी नाज़ करते हैं
अभी देखी कहाँ हैं आप ने नादानियाँ मेरी

ये मंज़िल ये हसीं मंज़िल जवानी नाम है जिस का
यहाँ से और आगे बढ़ना ये उम्र-ए-रवाँ मेरी