EN اردو
फ़रताश सय्यद शायरी | शाही शायरी

फ़रताश सय्यद शेर

4 शेर

आसमानों पे उड़ो ज़ेहन में रक्खो कि जो चीज़
ख़ाक से उठती है वो ख़ाक पे आ जाती है

फ़रताश सय्यद




रंग-ओ-ख़ुशबू का कहीं कोई करे ज़िक्र तो बात
घूम फिर कर तिरी पोशाक पे आ जाती है

फ़रताश सय्यद




तिरे ख़िलाफ़ किया जब भी एहतिजाज ऐ दोस्त
मिरा वजूद भी शामिल नहीं हुआ मिरे साथ

फ़रताश सय्यद




तू समझता है कि मैं कुछ भी नहीं तेरे बग़ैर
मैं तिरे प्यार से इंकार भी कर सकता हूँ

फ़रताश सय्यद