EN اردو
एज़ाज़ अहमद आज़र शायरी | शाही शायरी

एज़ाज़ अहमद आज़र शेर

3 शेर

बिछड़ने वाले ने वक़्त-ए-रुख़्सत कुछ इस नज़र से पलट के देखा
कि जैसे वो भी ये कह रहा हो तुम अपने घर का ख़याल रखना

एज़ाज़ अहमद आज़र




इन उजड़ी बस्तियों का कोई तो निशाँ रहे
चूल्हे जलें कि घर ही जलें पर धुआँ रहे

एज़ाज़ अहमद आज़र




वो सारी ख़ुशियाँ जो उस ने चाहीं उठा के झोली में अपनी रख लीं
हमारे हिस्से में उज़्र आए जवाज़ आए उसूल आए

एज़ाज़ अहमद आज़र