आप आए हैं हाल पूछा है
हम ने ऐसे भी ख़्वाब देखे हैं
एजाज़ वारसी
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ऐ संग-ए-आस्ताँ मिरे सज्दों की लाज रख
आया हूँ ए'तिराफ़-ए-शिकस्त-ए-ख़ुदी लिए
एजाज़ वारसी
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बरसों में भी छू जाए किसी को तो ग़नीमत
ख़ुशबू-ए-वफ़ा यारो बड़ी सुस्त-क़दम है
एजाज़ वारसी
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चढ़ते सूरज की मुदारात से पहले 'एजाज़'
सोच लो कितने चराग़ उस ने बुझाए होंगे
एजाज़ वारसी
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दरबानों तक के चेहरे रऊनत से मस्ख़ हैं
दस्त-ए-तलब लिए हुए फिर भी खड़े हैं लोग
एजाज़ वारसी
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मैं उस के ऐब उस को बताता भी किस तरह
वो शख़्स आज तक मुझे तन्हा नहीं मिला
एजाज़ वारसी
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राह-रौ बच के चल दरख़्तों से
धूप दुश्मन नहीं है साए हैं
एजाज़ वारसी
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