दो तरफ़ था हुजूम सदियों का
एक लम्हा सा दरमियाँ मैं था
एजाज़ आज़मी
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मैं वहाँ हूँ जहाँ नहीं कोई
कुछ नहीं था जहाँ वहाँ मैं था
एजाज़ आज़मी
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