हाए कितना लतीफ़ है वो ग़म
जिस ने बख़्शा है ज़िंदगी का शुऊर
चंद्र प्रकाश जौहर बिजनौरी
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हाए कितना लतीफ़ है वो ग़म
जिस ने बख़्शा है ज़िंदगी का शुऊर
चंद्र प्रकाश जौहर बिजनौरी