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बिस्मिल आग़ाई शायरी | शाही शायरी

बिस्मिल आग़ाई शेर

2 शेर

हर सम्त है वीरानी सी वीरानी का आलम
अब घर सा नज़र आने लगा है मिरा घर भी

बिस्मिल आग़ाई




सिमटा तिरा ख़याल तो दिल में समा गया
फैला तो इस क़दर कि समुंदर लगा मुझे

बिस्मिल आग़ाई