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बशीर अहमद बशीर शायरी | शाही शायरी

बशीर अहमद बशीर शेर

1 शेर

शाम ढलते ही ये आलम है तो क्या जाने बशीर
हाल अपना सुब्ह तक बे-रब्त नब्ज़ें क्या करें

बशीर अहमद बशीर