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अज़रा नक़वी शायरी | शाही शायरी

अज़रा नक़वी शेर

4 शेर

आने वाले कल की ख़ातिर हर हर पल क़ुर्बान किया
हाल को दफ़ना देते हैं हम जीने की तय्यारी में

अज़रा नक़वी




अब की बार जो घर जाना तो सारे एल्बम ले आना
वक़्त की दीमक लग जाती है यादों की अलमारी में

अज़रा नक़वी




हक़ीक़तें तो मिरे रोज़ ओ शब की साथी हैं
मैं रोज़ ओ शब की हक़ीक़त बदलना चाहती हूँ

अज़रा नक़वी




फैलते हुए शहरो अपनी वहशतें रोको
मेरे घर के आँगन पर आसमान रहने दो

अज़रा नक़वी