आने वाले कल की ख़ातिर हर हर पल क़ुर्बान किया
हाल को दफ़ना देते हैं हम जीने की तय्यारी में
अज़रा नक़वी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
अब की बार जो घर जाना तो सारे एल्बम ले आना
वक़्त की दीमक लग जाती है यादों की अलमारी में
अज़रा नक़वी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
हक़ीक़तें तो मिरे रोज़ ओ शब की साथी हैं
मैं रोज़ ओ शब की हक़ीक़त बदलना चाहती हूँ
अज़रा नक़वी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
फैलते हुए शहरो अपनी वहशतें रोको
मेरे घर के आँगन पर आसमान रहने दो
अज़रा नक़वी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |