यूँ भी मिली है मुझ को मिरे ज़ब्त-ए-ग़म की दाद
अक्सर वो सर झुकाए हुए मुस्कुराए हैं
अयाज़ झाँसवी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
1 शेर
यूँ भी मिली है मुझ को मिरे ज़ब्त-ए-ग़म की दाद
अक्सर वो सर झुकाए हुए मुस्कुराए हैं
अयाज़ झाँसवी