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अयाज़ झाँसवी शायरी | शाही शायरी

अयाज़ झाँसवी शेर

1 शेर

यूँ भी मिली है मुझ को मिरे ज़ब्त-ए-ग़म की दाद
अक्सर वो सर झुकाए हुए मुस्कुराए हैं

अयाज़ झाँसवी