दयार-ए-इश्क़ में तन्हा रहा नहीं हरगिज़
ख़ुशी ने हाथ जो छोड़ा तो ग़म ने थाम लिया
अनीसा बेगम
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जाते ही उन के ज़ीस्त की सूरत बदल गई
अल्लाह इतनी देर में क़िस्मत बदल गई
अनीसा बेगम
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क्या बर्बाद जिन को वो तमन्नाएँ तुम्हारी थीं
न हसरत मेरी हसरत थी न अरमाँ मेरा अरमाँ था
अनीसा बेगम
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मूसा नहीं कि ताब न लाऊँ मैं हुस्न की
बे-पर्दा सामने मिरे तू भी तो आ के देख
अनीसा बेगम
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उन से इज़हार-ए-मुद्दआ न किया
क्या किया मैं ने हाए क्या न किया
अनीसा बेगम
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