EN اردو
आलम मुज़फ्फ़र नगरी शायरी | शाही शायरी

आलम मुज़फ्फ़र नगरी शेर

2 शेर

मिलेगा ज़ुल्फ़-ए-आज़ादी उन्हें क्या मौसम-ए-गुल में
क़फ़स से छूट कर गुलशन में जो बे-बाल-ओ-पर आए

आलम मुज़फ्फ़र नगरी




वो उन का व'अदा वो ईफ़ा-ए-अहद का आलम
कि याद भी नहीं आता है भूलता भी नहीं

आलम मुज़फ्फ़र नगरी