मिलेगा ज़ुल्फ़-ए-आज़ादी उन्हें क्या मौसम-ए-गुल में
क़फ़स से छूट कर गुलशन में जो बे-बाल-ओ-पर आए
आलम मुज़फ्फ़र नगरी
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वो उन का व'अदा वो ईफ़ा-ए-अहद का आलम
कि याद भी नहीं आता है भूलता भी नहीं
आलम मुज़फ्फ़र नगरी
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