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अहमद शाहिद ख़ाँ शायरी | शाही शायरी

अहमद शाहिद ख़ाँ शेर

3 शेर

दुनिया ने जो ज़ख़्म दिए थे भर दिए तेरी यादों ने
यादों ने जो ज़ख़्म लगाए वो बढ़ कर नासूर हुए

अहमद शाहिद ख़ाँ




शम्अ की तरह से जलना सीख औरों के लिए
गर तमन्ना दिल में है तो रौनक़-ए-महफ़िल बने

अहमद शाहिद ख़ाँ




ये गुत्थी कब से मैं सुलझा रहा हूँ
जहाँ से मैं हूँ या मुझ से जहाँ है

अहमद शाहिद ख़ाँ