घर ग़ैर के जो यार मिरा रात से गया
जी सीने से निकल गया दिल हात से गया
आफ़ताब शाह आलम सानी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
या साल ओ माह था तू मिरे साथ या तो अब
बरसों में एक दिन की मुलाक़ात से गया
आफ़ताब शाह आलम सानी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |