और भी कितने तरीक़े हैं बयान-ए-ग़म के 
मुस्कुराती हुई आँखों को तो पुर-नम न करो
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
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और भी कितने तरीक़े हैं बयान-ए-ग़म के 
मुस्कुराती हुई आँखों को तो पुर-नम न करो
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत