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आमिर सुहैल शायरी | शाही शायरी

आमिर सुहैल शेर

2 शेर

मैं क्या करूँगा रह के इस जहान में
जहाँ पे एक ख़्वाब की नुमू न हो

आमिर सुहैल




ज़रा सी चाय गिरी और दाग़ दाग़ वरक़
ये ज़िंदगी है कि अख़बार का तराशा है

आमिर सुहैल