कनफ़्युशेश ने कहा था
हो न छुटकारा ज़िना-बिल-जब्र से तो
हार मानो
लेट जाओ
लुत्फ़ उठाओ और उसे मक़्सूम जानो
और गाँधी ने कहा है
ऐसी मुश्किल पेश आ जाए तो फ़ौरन
काट लो अपनी ज़बाँ को
और नफ़्स को रोक लो हत्ता की दम जाए निकल और हो रिहाई
किस को समझें किस की मानें
नज़्म
ज़िना-बिल-जब्र
कृष्ण मोहन