और अग़्यार मुसिर हैं कि वो सब
यार-ए-ग़ार हो गए हैं
अब कोई नदीम-ए-बा-सफ़ा नहीं है
सब रिंद शराब-ख़्वार हो गए हैं
नज़्म
यार अग़्यार हो गए हैं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
और अग़्यार मुसिर हैं कि वो सब
यार-ए-ग़ार हो गए हैं
अब कोई नदीम-ए-बा-सफ़ा नहीं है
सब रिंद शराब-ख़्वार हो गए हैं